
मुंबई इंडियंस और बेंगलुरू रॉयल चैलेंजर्स लगभग महीने के अंतराल के बाद एक बार फिर चिन्नास्वामी स्टेडियम पर आमने सामने थी। 20 मार्च को दोनों के बीच मुकाबले में बेंगलुरू ने अपनी बादशाहत कायम की थी। उसके बाद से पाइंट टेबल में ज्यादा बदलाव नहीं था। मुंबई और बेंगलुरू तब भी शीर्ष टीमों में शामिल थी और अंतिम दौर में भी उन्होंने खुद को बाकी टीमों से आगे बनाए रखा था। अंतर बस इतना था कि मुंबई सेमीफायनल में अपना स्थान सुनिश्चित कर चुकी थी तो बेंगलुरू को ऐसा करने के लिए अपने अंतिम लीग मैच में जीत की दरकार थी। बेंगलुरू के धुरंधर कोई भी करिश्मा नहीं दिखा पाए और मुंबई ने न केवल बेंगलुरू से पिछली हार का बदला लिया बल्कि गत उपविजेता टीम के लिए सेमीफायनल की दौड थोडी मुश्किल भी कर दी।
चिन्नास्वामी मैदान में यह जंग शीर्ष पर चल रही दोनों टीमों के बीच थी। साथ ही मुकाबला था दो शीर्ष बल्लेबाजों का जिनके बीच आरेंज कैप को लेकर भी संग्राम चल रहा है। सचिन तेंदुलकर को आउट करने के बाद जैक कैलिस के पास मौका था लेकिन वह भी मामूली स्कोर बनाकर पैवेलियन लौट गए। कैलिस पिछले कुछ मुकाबलों से खुलकर बल्लेबाजी नहीं कर पा रहे है। इसकी एक वजह यह भी हो सकता है कि अब तक उन्हें मनीष पांडे के रूप में एक मजबूत जोडीदार मिला था। मनीष भी पिछले कुछ मुकाबलों से कुछ खास नहीं कर पा रहे है तो कैलिस पर दबाव बढ गया है।
अंबाटी रायडू को इस आईसीएल से आईपीएल में आए सबसे प्रतिभाशाली खिलाडी माना जाए तो इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी। पिछले कुछ मुकाबलों से सचिन पर मुंबई इंडियंस की निर्भरता काफी बढ गई थी। सचिन के आउट होने के बाद लगा कि मुंबई का मध्यक्रम एक बार फिर लडखडा जाएगा। रायडू ने आलोचकों को जवाब देने के यही मौका चुना। उन्होंने एक बार फिर बेहतरीन पारी खेली। कुंबले जैसे गेंदबाज के खिलाफ भी उन्होंने बेहतरीन फुटवर्क का इस्तेमाल किया।
मुंबई इस सीजन में अधिकांश मौके पर भारतीय खिलाडियों की वजह से जीत हासिल करने में कामयाब रही है। अब विदेशी खिलाडी भी रंग में नजर आ रहे है। पोलार्ड ने एक छोटी सी विस्फोटक पारी खेली। मेक्लेरन और ड्यूमिनी ने भी बेहतर बल्लेबाजी का मुजाहिरा किया। पोलार्ड और मेक्लेरन के साथ फर्नाडो ने अपनी गेंदबाजी से विरोधी टीम को मुसीब में डाल दिया। मलिंगा, जहीर और हरभजन पहले से ही जबर्दस्त गेंदबाजी कर रहे है ऐसे में बाकी गेंदबाजों का फार्म में होना दूसरी टीमों के लिए खतरे की घंटी है।
बल्लेबाजों के बारे में कहां जाता है कि यदि वह लंबे समय पर विकेट पर हो या फिर जबर्दस्त फार्म में हो तो उसे गेंद फुटबॉल की तरह नजर आती है। गेंदबाजों के लिए आग उगलना या कहर बरपाती गेंदों का जिक्र किया जाता है। स्टेन ने आईपीएल के पिछले कुछ मुकाबलों में अपनी गेंदबाजी के बाद लगता है कि इस लिखावट में कुछ बदलाव करने के लिए मजबूर कर दिया है। अब स्टेन की गेंदबाजी को देख यह कहना पडेगा कि उनकी गेंदे स्टेनगन की माफिक गोलियां उगल रही है। उन्होंने मुंबई के बल्लेबाजों को चैन नहीं लेने दिया। बाकी गेंदबाजों ने उनकी मदद नहीं की। यहां तक की सबसे किफायती गेंदबाज कुंबले की गेंदों पर भी मुंबई के बल्लेबाजों ने जमकर चौके छक्के जडे। स्टेन का यह प्रयास नाकाफी साबित हुए।
इस मुकाबले के साथ बेंगलुरू के लीग मुकाबलों का सफर खत्म हो या है। अब सेमीफायनल में उसके पहुंचना विरोधी टीम पर निर्भर करेगा। टीम का रन रेट काफी अच्छा है और जो समीकरण फिलहाल बन रहे है उस लिहाज से यह टीम किसी भी कीमत पर सेमीफायनल में जगह बना लेगी। डेक्कन और कोलकाता दोनों ही टीमे कुछ करिश्मा दिखा भी दे तो रन रेट के मामले में वह बेंगलुरू को पीछे नहीं छोड पाएंगे। पाइंट के आधार पर या फिर रन रेट के आधार पर विजय माल्या की टीम के खिताबी दौड में बने रहने की पूरी संभावनाएं है, लेकिन आगे का सफर तभी सफलता में बदल पाएगा जब बल्लेबाज इस मुकाबले की तरह विफल न रहे।
Comments
Post a Comment