दादा दा जवाब नहीं

कोलकाता नाइटराइडर्स ने अपने मालिक शाहरूख खान को शर्मिन्‍दा होने से बचा लिया। शाहरूख खान ने ऐलान किया था कि यदि उनकी टीम आईपीएल का खिताब जीतेगी तो वह स्‍टेडियम में न्‍यूड होकर नाचेंगे। खिताब जीतना को दूर यह यह हाई प्रोफाइल टीम लगातार तीसरी बार सेमीफायनल में जगह बनाने में नाकाम रही। यह एकमात्र ऐसी टीम जो अब तक ऐसा करने में नाकाम रही है। दर्शकों की सबसे चहेती टीम और बॉलीवुड के किंग खान का नाम जुडा होने की वजह से हर बार इस टीम से उम्‍मीद काफी रहती है। हर बार की तरह इस बार भी शाहरूख की टीम ने निराश किया।

शाहरूख की टीम ने भले ही निराश किया हो लेकिन सीजन दो के विवादों के बाद एक बार फिर टीम की कमान संभालने वाले सौरव गांगुली एक बार फिर प्रिंस ऑफ कोलकाता साबित हुए। लीग के अंतिम मुकाबले में मुंबई के खिलाफ भी गांगुली का शानदार फार्म जारी रहा। 42 रनों की पारी के बाद वह आईपीएल में रन बनाने वाले खिलाडियों की फेहरिस्‍त में तीसरे नंबर पर जा पहुंचे है। 493 रन बनाने वाले गांगुली से रनों के मामले में जैक कैलिस और सचिन तेंदुलकर ही आगे है। गांगुली का इस सूची में आना उन आलोचकों को करारा जवाब है जो उन्‍हें चुका हुआ बता रहे थे। मजबूत इच्‍छाशक्ति की बदौलत ही गांगुली ने टीम इंडिया के साथ लंबा सफर तय किया है और आईपीएल में भी उन्‍होंने खुद को साबित कर दिया है। कप्‍तानी, फील्डिंग और बल्‍लेबाजी तीनों में गांगुली का कोई जवाब नहीं था। टीम के बाकी खिलाडियों की और से यदि सहयोग मिलता और कुछ अहम मुकाबलों में टीम घटिया खेल नहीं दिखाती तो कोई शक नहीं कि यह टीम खिताब की दौड में शामिल रहती। मुंबई के खिलाफ मुकाबले में कोलकाता को एक बडे अंतर से जीत दर्ज करना थी। कोलकाता यदि पहले बल्‍लेबाजी कर 175 रन बनाती तो उसे मुंबई को दो रनों पर ऑल आउट करना पडता। यह नामुमकिन ही था। 

दूसरी और सेमीफायनल में पहले से ही जगह बना चुकी मुंबई के लिए अंतिम लीग मुकाबला अपनी बैंच स्‍ट्रैंथ को परखने का एक अच्‍छा मौका साबित हुआ। सचिन तेंदुलकर सहित शीर्ष पांच खिलाडियों को आराम कर नये खिलाडियों की अगुआई में मुंबई टीम मैदान पर उतरी थी। रायडू और सौरभ तिवारी दोनों ने बेहतर खेल दिखाया लेकिन जिन नये खिलाडियों को मौका दिया वह कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए। इस वजह से मुंबई बडा स्‍कोर खडा करने में नाकाम रही। टीम को सचिन के बगैर खेलने की आदत नहीं है। उनकी बल्‍लेबाजी से मुंबई का विजयी मार्च पर थी तो उनकी मौजूदगी नये खिलाडियों को कुछ अद्भुत करने प्रेरित करती थी। यह मुकाबला टीम ने उनके बगैर खेला और नतीजा सामने है।
आईपीएल के पहले सीजन में भी कोलकाता ने पहले दो मुकाबलों में डेक्‍कन चार्जर्स और बेंगलुरू रॉयल चैलेंजर्स को हराया था। इस बार भी कोलकाता की टीम ने सीजन की शुरूआत इन्‍हीं दोनों टीमों को शिकस्‍त देकर की थी। मुंबई के साथ इस टीम को संभावित विजेता के रूप में देखा जा रहा था। शुरूआती जीत के बाद कोलकाता की लय गडबडा गई। टीम की गेंदबाजी उसका कमजोर पक्ष रही। ईशांत शर्मा सबसे बडे मुजरिम के रूप में सामने आए है। क्रिस गैल और मेक्‍युलम जैसे बल्‍लेबाजों के प्रदर्शन में भी निरंतरता का अभाव रहा। मनोज तिवारी और मैथ्‍यूज भी कभी जमकर खेले तो कभी उन्‍होंने टीम को नीचा दिखाया।
आईपीएल के चौथे सीजन में टीमों में भारी बदलाव होंगे। शाहरूख खान की टीम को भी नये सिरे से खिलाडियों की खरीद फरोख्‍त में शामिल होना पडेगा। फिर भी एक बात तो तय है कि शाहरूख के लिए पहली पसंद प्रिंस ऑफ कोलकाता ही होंगे और दादा भी इस शहर के अलावा किसी और की नुमाइंदगी करना पसंद नहीं करेंगे। यह एक ऐसा शहर जिसके रगों में क्रिकेट और फुटबाल बसा हुआ है। अच्‍छा खेल दिखाने पर यहां के खेल प्रेमी आपको दाद देने में जरा सी भी कंजूसी नहीं करेंगे और यदि आपने निराश किया तो वे ईडन गार्डन को फूंकने से भी परहेज नहीं करेंगे। उम्‍मीद की जाना चाहिए की दादा की दादागिरी अगले सीजन में भी जारी रहेगी।

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