सल्फास एक ऐसा जहर होता है जो कुछ ही पलों के भीतर अपना असर दिखाना शुरू कर देता है। जीने की तमन्ना जोर मारे इसके पहले ही मौत अपना काम तमाम कर चुकी होती है। रॉयल चैलेंजर्स के खिलाफ रॉबिन उत्थपा एक ऐसे ही जहरीले बल्लेबाज है। वह बल्लेबाजी के लिए जब मैदान में उतरते है तो चंद गेंदों में विरोधी टीम का काम तमाम कर देते है। विरोधी टीम का कप्तान और गेंदबाज उनके खिलाफ कोई रणनीति को अमल में लाए इसके पहले ही उत्थपा उन पर हावी हो जाते है। वह केवल गेंद को सीमा रेखा के पार ही नहीं पहुंचाते है बल्कि इसके साथ विरोधी टीम के आत्मविश्वास को भी तोडकर रख देते है। कोलकाता नाइटराइडर्स के खिलाफ भी रॉबिन उत्थपा उसी किलर भूमिका में नजर आए। वह अपनी बल्लेबाजी से कोलकाता के हाथों से जीतकर छिनकर ले गए।
रॉबिन का बल्ला जहां हथौडे की तरह गरम लोहे पर वार कर खूबसूरत पारी को गढ रहा था तो विकेट के दूसरी और मौजूद राहुल द्रविड का बल्ला किसी चित्रकार की कूची की तरह चल रहा था। नजाकक, नफासत और जरूरत पडने पर तेज शॉट्स के रूप में गहरे रंगों के स्ट्रोक्स का प्रयोग करने वाले किसी चित्रकार सी झलक द्रविड की पारी में देखने को मिल रही थी। सचिन की तरह द्रविड इस आईपीएल में अपनी बल्लेबाजी से मानों उन आलोचकों को जवाब देना चाहते है जो उन्हें चूका हुआ बता रहे है। दविड मानों बताना चाहते है कि केवल शक्तिशाली स्ट्रोक्स नहीं बल्कि टायमिंग और प्लेसमेंट से जरिए भी क्रिकेट के इस फार्मेट में भी रण जीता जा सकता है।
द्रविड जो काम बल्लेबाजी में कर रहे है वहीं भूमिका गेंदबाजी में अनिल कुंबले बेंगलुरू के लिए निभा रहे है। वह इस आईपीएल के सबसे किफायती गेंदबाज साबित हो रहे है। कुंबले का ही कमाल था कि कोलकाता उस स्कोर तक पहुंचने से वंचित रह गई जहां से वह यह यकीन कर सके कि मुकाबला उसकी मुठ्ठी में है। कुंबले तो लाजवाब साबित ही हो रहे है विनय कुमार ने भी एक बार फिर मैच विनिंग गेंदबाजी की। विकेट लेने की काबिलियत ने ही उन्हें वर्ल्ड कप का टिकिट दिलवाया है। इस मुकाबले में भी उन्होंने तीन अहम विकेट लेकर वर्ल्ड कप के लिए शंखनाद कर दिया है। सीजन3 के बीच के दौर में वह अपनी लाइन लैंग्थ से जरा भटक गए थे। अब वह फिर रिदम में दिख रहे है। यह इस भरी गरमी में बेंगलुरू के लिए ठंडक भरी राहत है।
कोलकाता के सबसे मारक हथियार ईशांत शर्मा के फुस्सी होने का सिलसिला जारी है। इस मुकाबले में भी उन्होंने चार ओवरों में 46 रन दिए और विकेट लेने का सवाल तो उठता ही नहीं है। ईशांत शर्मा को अब खुद का आकलन करना होगा। उन्हें सोचना होगा कि गति के दम पर वह कुछ समय के लिए बल्लेबाजों के लिए दहशत पैदा कर सकते है लेकिन यह कामयाबी आंशिक ही होगी। द्रविड के पहले सचिन तेंदुलकर भी उन्हें नानी याद दिला चुके है। शर्मा के बनिस्बत डिंडा का प्रदर्शन में सुधार है। वह बेहतर तरीके से गेंदबाजी कर रहे है और फिर एक बार उम्मीद जगा रहे है कि कोलकाता एक्सप्रेस फिर से अंतर्राष्ट्रीय मैदानों पर दौडेगी।
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