सौरव गांगुली जब तक भारतीय टीम के कप्तान थे तो मुंबई का हरफनमौला खिलाडी अजीत आगरकर उनकी पहली पसंद था। वह आगरकर ही थे जिनकी बदौलत टीम इंडिया ने गांगुली की कप्तानी में आस्ट्रेलिया के खिलाफ एडिलेड में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। हालांकि वन डे क्रिकेट में बार बार महंगे साबित होने की वजह से आगरकर की बार बार आलोचना होती रही। गांगुली का दौर भारतीय क्रिकेट में खत्म हुआ और टीम से अंदर बाहर होते रहे आगरकर भारतीय क्रिकेट के लिए गुमनाम हो गए। गांगुली मुंबई के इस क्रिकेटर की एक खासियत से काफी प्रभावित थे कि वह रन भले ही लुटाए लेकिन समय समय पर टीम को महत्वपूर्ण विकेट दिलवाते रहते है।
आईपीएल में पांच मुकाबले में बाहर रहने के बाद किंग्स इलेवन के खिलाफ आगरकर ने पहला मुकाबला खेला। पहली तीन गेंदों पर युवराज सिंह ने एक चौका और एक छक्का जमाया। पहली तीन गेंदों पर युवराज का नाम था तो चौथी पर आगरकर का। उन्होंने युवराज को अपना शिकार बनाया तो अगले ही ओवर में खतरनाक होते बिसला को भी पैवेलियन का रास्ता दिखा दिया। आगरकर के दो ओवरों ने कोलकाता को जीत की राह दिखा दी। पंजाब इन दो झटकों से उबर नहीं पाया और ओवर दर ओवर मुकाबले से बाहर होता गया।
आगरकर ने जीत की राह दिखाई तो बुनियाद रखी मनोज तिवारी और दादा ने। आईपीएल के शुरूआती मुकाबले में लग रहा था कि बंगाल टाइगर को जंग लग गया है, दादा एक बार फिर पुराने टच में नजर आ रहे है। उन्होंने एक छोर से मोर्चा संभाल रखा तो दूसरी और दादा के बाद कोलकाता का लाडला मनोज तिवारी । मनोज आक्रमकता के लिए पहचाने जाते है जो बंगाल के खिलाडियों की पहचान रही है। उनकी 75 रनों की पारी दोनों टीमें के बीच मुख्य अंतर अंत में साबित हुई।
पंजाब दो ओवरों में मुकाबले में काफी पिछड गया। ये ओवर कोलकाता की पारी का आखरी और पंजाब की पारी का पहला ओवर था। कोलकाता के बीसवें ओवर में मनोज तिवारी ने इरफान धोकर रख दिया। इरफान के इस ओवर में 20 रन बने। वहीं पंजाब की पारी के पहले ही ओवर में रवि बोपारा आउट हो गए। ये दोहरा आघात था।
पंजाब के लिए इस आईपीएल में कुछ भी ठीक नहीं हो रहा है। शुरूआती मुकाबलों में यह टीम कभी गेंदबाजों की वजह से तो कभी बल्लेबाजों की नाकामी का शिकार हुई। चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ मिली जीत की खुराक से भी टीम की सेहत नहीं सुधरी बल्कि और बिगड ही गई। अब न तो बल्लेबाज चल रहे है और गेंदबाजों में रन लुटाने की होड जारी है। इस आईपीएल में टीम की हालत अब चिंताजनक नहीं है बल्कि वह वेंटीलेटर पर पहुंच गई है।
शाहरूख ने पिछले दो सीजन में टीम की नाकामी के बाद भी गांगुली पर भरोसा जताया था। वह उस पर खरे उतरते दिख रहे है। गांगुली की कप्तानी में उनकी स्वाभाविक आक्रमकता भी इस मुकाबले में दिखी। गेंदबाजों का बेहतर इस्तेमाल, फिल्डरों की सही जमावट, टीम के खिलाडियों को प्रोत्साहित करना और विरोधी टीम पर दबाव बढाने के लिए आक्रमकता, मोहाली पर गांगुली की वह सब खूबियां दिखी जिसने उन्हें भारतीय क्रिकेट का कामयाब कप्तान बनाया।
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