कोलकाता वाले कप नहीं ले जाएंगे

फिल्‍मों की तरह क्रिकेट में रिटेक का कोई विकल्‍प नहीं होता यहां हर शॉट फायनल शॉट होता है। क्रिकेट में यदि यह विकल्‍प होता तो किंग खान चेपॉक पर जरूर पहले तीन ओवरों को दोबारा फिल्‍माने या यूं कहे दोबारा डाले जाने की वकालत करते। शाहरूख के लडाकों को सेमीफायनल में पहुंचने की उम्‍मीद बनाए रखने के लिए चेन्‍नई सुपर किंग्‍स के खिलाफ जीत हासिल करनी थी लेकिन उन्‍होंने धोनी की सेना के आगे आत्‍मसमर्पण कर दिया। यह वही टीम है जिसका थीम सांग कोरबो, लोडबो और जीतबो है लेकिन फिलहाल तो यह टीम कोरबो, लोडबो और जीतबो नहीं गुनगुना रही है।

क्रिकेट के खेल में बल्‍लेबाज इस कदर हावी हो गए है कि पावर प्‍ले के दौरान स्पिनरों से गेंदबाजी कराना जुआं खेलने के समान होता है। एमएस धोनी इसी तरह के जोखिम और प्रयोग के लिए पहचाने जाते है। मुथैया मुरलीधरन जैसे महानतम स्पिन की मौजूदगी और फार्म में चल रहे जकाती के होने के बावजूद उन्‍होंने गेंदबाजी की शुरूआत अश्विन से कराई। बेहद महत्‍वपूर्ण मुकाबले में अश्विन ने कोलकाता के शीर्षक्रम को ध्‍वस्‍त कर दिया। अश्विन बदकिस्‍मत रहे कि वह हैट्रिक हासिल नहीं कर पाए। उनकी और हैट्रिक के बीच कोई बल्‍लेबाज नहीं बल्कि अंपायर सायमन टफेल आ गए। मैथ्‍यूज साफतौर पर आउट थे लेकिन टफेल टस से मस नहीं हुए। अश्विन फिर भी बेमिसाल साबित हुए। 16 रन देकर उन्‍होंने तीन विकेट हासिल किए।

अश्विन के अलावा बालिंगर और जकाती के हमले से कोलकाता पस्‍त हो गई। बालिंगर ने चार ओवरों में महज 14 रन दिए और एक विकेट हासिल किया तो जकाती भी भरोसमंद साबित हुए। उन्‍होंने भी कसावट भरी गेंदबाजी करते हुए अंतिम ओवरों में खतरनाक साबित हो सकते वर्धमान साहा को पैवेलियन का रास्‍ता दिखा दिया। मुरलीधरन ने जरूर धोनी को निराश किया होगा। मुरली ने एक विकेट जरूर लिया लेकिन चार ओवरों में 47 रन देकर वह बहुत महंगे साबित हुए।

सौरव गांगुली ने इस रॉयल चैलेंजर्स के खिलाफ हार के बाद सार्वजनिक रूप से टीम की आलोचना की थी। गांगुली ने खासतौर पर बल्‍लेबाजों के प्रदर्शन पर नाराजगी जताते हुए कहां था कि टीम सेमीफायनल में स्‍थान बनाने का हक नहीं रखती है। गांगुली की इस आलोचना का भी टीम के बल्‍लेबाजों पर कोई प्रभाव नहीं दिखा। चेपॉक पर भी कोलकाता के बडे बडे नाम ढेर हो गए। गांगुली जरूर बदकिस्‍मत रहे है कि वह अंपायर के गलत फैसले का शिकार हुए। बाकी बल्‍लेबाजों ने तो टर्न और उछाल लेती इस विकेट पर हथियार डाल दिए।

हेडन की नाकामी का दौर जारी है। प्रतिस्‍पर्धात्‍मक क्रिकेट से दूर रहने का असर अब उनकी बल्‍लेबाजी पर साफतौर पर झलक रहा है। पहले दो सीजन में सबसे खतरनाक बल्‍लेबाज अब विरोधी टीम के लिए कोई खास चुनौती नहीं बन रहा है। हेडन के बगैर खाता खोले पैवेलियन लौटने पर कोलकाता की थोडी बहुत भी उम्‍मीद जगी होगी तो वह रैना और मुरली विजय ने कुछ ही ओवरों में दूर कर दी। यह दोनों ही बल्‍लेबाज ही है जो क्रिकेट के इस युवा फार्मेट पर में युवा बल्‍लेबाजों की बागडोर संभाले हुए है। सबसे ज्‍यादा रन बनाने वाले अनुभवी खिलाडियों के वर्चस्‍व को इन्‍हीं दो बल्‍लेबाजों से चुनौती मिल रही है। इन दोनों ने चेन्‍नई को न केवल जीत दिलाई बल्कि पाइंट टेबल में भी अब यह टीम मुंबई के बाद दूसरे नंबर पर जा पहुंची है। यही नहीं कम ओवरों में ही लक्ष्‍य को हासिल कर चेन्‍नई ने अपने रन रेट को भी बेहतर बना लिया है जो सेमीफायनल की दौड में उसके लिए अहम साबित होगा।

क्रिकेट के खेल में हार कर जीतने वाले को बाजीगर नहीं कहते है। यहां तो जो जीता वही सिकंदर होता है। बादशाह खान की टीम आईपीएल के लगातार तीसरे सीजन में भी सिकंदर साबित नहीं हो पाई है। इस टीम का प्रदर्शन कभी खुशी कभी गम की तरह उतार चढाव भरा रहा। टीम कभी फिल्‍मी हीरों की तरह तमाम विरोधियों को पटकनी देने वाले रूप में नजर आई तो कभी किसी फ्लाप फिल्‍म की तरह जो बाक्‍स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरती है। अब शाहरूख की यह टीम मैं हूं ना बोलकर सेमीफायनल की दहलीज पर नहीं पहुंच सकती है। टीम की बहुत ही धुंधली उम्‍मीद टिकी है बाकी टीमों के प्रदर्शन पर वर्ना शाहरूख की टीम कप लेकर जा पाएगी और उसे कभी अलविदा नहीं बल्कि आईपीएल 3 को हमेशा के लिए अलविदा बोलना पडेगा।

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