
पंजाब के लिए यह करो या मरो का मुकाबला था। इस मुकाबले में हार का मतलब था आईपीएल में सेमीफायनल के रास्ते बंद होना। मुकाबला चुनौतीपूर्ण होतो खिलाडियों का मनोबल उंचा होता है और एक अच्छा खिलाडी के लिए विपरीत परिस्थितियां ही उसके खेल के स्तर को उंचा उठाती है। मोहाली में इसके उलट हुआ। किंग्स इलेवन के हीरो जीरो साबित हुए और एक के बाद एक कैच गंवाने के साथ साथ उन्होंने मुकाबला भी गंवा दिया।
खराब फिल्डींग के बावजूद पंजाब मुकाबले को जीतने की स्थिति में था। सोलह ओवर तक पंजाब की टीम का पलडा भारी लग रहा था। 17 वें ओवर ने मैच का रूख ही बदल कर रख दिया। रॉबिन उत्थपा ने ब्रेट ली के एक ही ओवर में 25 रन ठोक दिए। इसके बाद पंजाब मुकाबले के साथ साथ सेमीफायनल की दौड से भी बाहर हो गया। जबर्दस्त फार्म में चल रहे जैक कैलिस का विकेट जल्दी हासिल करने और फिर मनीष पांडे को जल्दी पैवेलियन भेज किंग्स इलेवन ने जीत की उम्मीद जगाई थी। विराट कोहली और केविन पीटरसन की साझेदारी ने बेंगलुरू को मुकाबले में बनाए रखा था लेकिन पहले कैच छोडने का सिलसिला और ब्रेट ली के एक खराब ओवर ने आईपीएल सीजन 3 में किंग्स इलेवन की किस्मत पर मुहर लगा दी।
विवादों से घिरे युवराज सिंह ने 36 रनों की पारी खेल फार्म में आने के संकेत दिए। उनका फार्म में लौटना अब टीम के लिए कोई राहत नहीं ला पाएगा। वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम के लिए यह अच्छा संकेत हो सकता है। संगकारा और रवि बोपारा ने भी अच्छी बल्लेबाजी की लेकिन अब पंजाब के लिए बहुत देर हो चुकी है। मैदान पर टीम में एकजुटता का अभाव अब तक साफतौर पर झलक रहा है। मीडिया में आ रही खबरों को भले ही खारिज कर दिया जाए लेकिन टीम में अनबन है और खिलाडियों की व्यक्तिगत महत्वकांक्षाओं ने टीम को शर्मसार होने पर मजबूर कर दिया।
गिलक्रिस्ट को छोडकर जिस भी टीम ने भारतीय कप्तान की जगह विदेशी खिलाडी को टीम की कमान सौंपी उसके लिए नतीजे अच्छे नहीं रहे। गांगुली की जगह मेक्कुलम को यह जवाबदारी सौपी गई तो नाइट राइडर्स चारों खाने चित हो गई थी। पीटरसन को जवाबदारी मिली तो बेंगलुरू की हार का सिलसिला तब तक खत्म नहीं हुआ जब तक कुंबले ने बागडोर अपने हाथों में नहीं संभाली। अब यह सिलसिला पंजाब किंग्स इलेवन तक जा पहुंचा है। युवराज की जगह संगकारा को कप्तान बनाया जाना पंजाब को रास नहीं आया।
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