क्रिकेट के बारे में एक बेहद सामान्य बात कही जाती है कि विनिंग कॉम्बिनेशन में बदलाव नहीं किया जाना चाहिए। जीत की लय को बरकरार रखने के लिए ज्यादा प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। बेंगलुरू ने यही गलती की और इसका खामियाजा भी टीम को तुरंत भुगतना पडा। जैक कैलिस के साथ आईपीएल की सबसे मजबूत और सफलतम जोडी का दर्जा हासिल करने वाले मनीष पांडे को टीम में जगह नहीं मिली। उनकी जगह कैमरून व्हाइट को खिलाया गया। बल्लेबाजी क्रम में भी कई बदलाव किए गए। यही प्रयोग रॉयल चैलेंजर्स को ले डूबें।
बेंगलुरू ने जीत की नित नयी इबारत लिख रही मुंबई इंडियंस टीम से कोई सबक नहीं लिया। सौरभ तिवारी और अंबाटी रायडू इस सीजन में पूरे फार्म में है। ब्रावो और पोलार्ड टीम का हिस्सा बने इसके बावजूद मुंबई ने महंगे विदेशी खिलाडियों की जगह फार्म में चल रहे भारतीय खिलाडियों को प्राथमिकता मिली। यही वजह है कि मुंबई की टीम का प्रदर्शन मैच दर मैच निखरता जा रहा है। वही बेंगलुरू को शुरूआती मुकाबले में जीत दिलाने वाले रॉबिन उत्थपा और विराट कोहली डेल्ही डेयर डेविल्स के खिलाफ लंबे समय तक डग आउट में बैठे रहे। उनकी जगह विदेशी खिलाडी पहले बल्लेबाजी करने गए। बडे नामों वालों इन खिलाडी की नाकामी भी बडी रही। नतीजा यह रहा कि बाद में बल्लेबाजी करने वाले उतरे भारतीय खिलाडियों की लय भी बिगड गई।
जैक कैलिस को छोड कोई भी बल्लेबाज डेल्ही के खिलाफ चल नहीं पाया। कैलिस का बल्ला निर्दयता से गेंदबाजों के भविष्य को चौपट करता जा रहा हे। हर मुकाबले में उनकी पारी को देख ऐसा लगता है कि पिछली ही पारी को आगे बढा रहे है। पहली ही गेंद से वह टच में नजर आते है। आईपीएल के पहले दक्षिण अफ्रीका के लंबे भारतीय दौरे का फायदा उन्हें मिल रहा है। उनके नाम पर छप्पर फाड कर रन बरस रहे है।
डेल्ही डेयरडेविल्स के लिए कॉलिंगवुड का टीम से जुडना उसे कई मोर्च पर मजबूत बना रहा है। इंग्लैंड का यह ऑलराउंड क्रिकेटर डेल्ही के लिए बल्लेबाजी, गेंदबाजी और फील्डिंग में दमदार प्रदर्शन की वजह से बेशकीमती है। कैलिस की तरह उन्हें भी आईपीएल के पहले बांग्लादेश का दौरा अब फलदायक साबित हो रहा है। उपमहाद्वीप के धीमे विकेट से भलीभांति परिचित हो चुके कॉलिंगवुड का फार्म में होना बाकी टीमों के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
अमित मिश्रा को केवल वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम से नहीं बल्कि इस आईपीएल में भी नजरअंदाज किया गया। इसके बावजूद इस गेंदबाज ने हिम्मत नहीं हारी और देखते ही देखते वह सर्वाधिक विकेट लेने वालों की सूची में शीर्ष पर पहुंच गए है। उन्होंने मुरलीधरन को पीछे छोड पर्पल कैप हासिल की है। 2003 में पहली बार भारतीय टीम में चुने गए अमित मिश्रा के लिए टीम से बाहर आना जाना और नजरअंदाज किया जाना कैरियर का मानो हिस्सा सा बन गया है। अमित उन खिलाडियों से नहीं है जो हिम्मत हार जाते है वह तो हर असफलता को सफलता की नयी सीढी मानकर खेल के स्तर को उंचा उठाने वाले है। दिल्ली का ये दिलदार गेंदबाज उम्मीद जगाता है कि वह फिर चयनकर्ताओं और क्रिकेट प्रेमियों के दिल पर राज करेगा।
Comments
Post a Comment