
शेन वार्न को इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा बोले अरसा बीत गया है। बावजूद इसके सचिन तेंदुलकर उन्हें केवल ख्वाबों में नहीं बल्कि हकीकत में भी क्रिकेट मैदान पर डरा रहे है। जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम पर सचिन का खौफ फिरकी के जादूगर के चेहरे पर उस वक्त साफतौर पर झलक रहा था जब वह टॉस के बाद रवि शास्त्री से रूबरू हो रहे थे। वार्न उस वक्त सचिन की बल्लेबाजी के गुणगान करने के साथ यह दुआ भी कर रहे थे कि इस मुकाबले में सचिन अपने बल्ले से कोई कमाल नहीं दिखाए। वार्न की दुआ तो कबूल नहीं हुई लेकिन उनकी आशंका जरूर सच साबित हो गई। मास्टर के ब्लास्टर शॉट्स से भरी पारी ने राजस्थान रॉयल्स को पहली बार अपने घरेलू मैदान पर हार का मुंह देखना पडा है।
मुंबई इंडियंस और राजस्थान रॉयल्स के बीच कहने के लिए यह मुकाबला खेला गया लेकिन असली जंग सचिन और शेन वार्न के बीच थी। दोनों दिग्गज खिलाडियों के बीच तीन मोर्चों पर यह लडाई लडी गई। यह तीनों ही मोर्चे अब तक सचिन और वार्न के इस आईपीएल में मजबूत पक्ष रहे है, लेकिन इस मुकाबले में सचिन ने इस गेंदबाज पर तीनों मोर्चों पर फतह हासिल की। पहला संघर्ष गेंद और बल्ले के बीच था। सचिन ने वार्न के एक ही ओवर में तीन चौके जमाकर यह बाजी अपने पक्ष में कर ली। वार्न के इसी ओवर से मैच का रूख बदला और मुंबई की पारी स्लो लोकल की बजाए फास्ट लोकल की तरह सरपट दौडने लगी।
दूसरा संघर्ष कप्तानी और व्यक्तिगत प्रदर्शन से टीम के मनोबल को उंचा उठाने को लेकर था। अब तक वार्न और मास्टर ब्लास्टर अपने अपने प्रदर्शन से टीम को प्रोत्साहित करते आए है। इस मुकाबले में दोनों टीमों के बीच अंतर भी कप्तानों का प्रदर्शन ही रहा। सचिन ने लगातार विकेट गिरने के बावजूद बगैर विचलित हुए संयम और आक्रमकता के मिश्रण वाली पारी खेली। सचिन की पारी ने मुंबई इंडियंस का न केवल स्कोर बढाया बल्कि टीम का मनोबल भी सातवें आसमान पर पहुंच गया। दूसरी और वार्न के प्रदर्शन में निरंतरता का अभाव था। इस मुकाबले में भी वह अहम मौके पर टीम के लिए विकेट नहीं ले पाए। यही वजह है कि मुंबई एक बडा स्कोर खडा करने में कामयाब हो गई। गेंदबाजी परिवर्तन की बात हो या फिर बल्लेबाजों के क्रम को चयन करने का वार्न के लिए कुछ भी सही साबित नहीं हुआ।
राजस्थान रॉयल्स के लिए इस सीजन में सबसे बडी निराश यूसुफ पठान के प्रदर्शन को लेकर भी रही। मुंबई इंडियंस के खिलाफ सीजन के पहले मुकाबले में उन्होंने धमाकेदार शतक जमाया था। उनकी इस पारी ने रॉयल्स के लिए काफी उम्मीदें जगाई थी। इस पारी के बाद वह पूरे टूर्नामेंट में इस पारी के आसपास भी फटक नहीं पाए। इस सीजन में कई बार ऐसे मौके आए जब यूसुफ की मौजूदगी से रॉयल्स की जीत की उम्मीदें बनी हुई थी, लेकिन वह फुस्सी फटाका साबित हुए।
आखिर में बात दो युवा क्रिकेटरों की जिन्होंने इस आईपीएल में अपनी छाप छोडी है। इनमें से एक सचिन की टीम के सौरभ तिवारी है तो दूसरे रॉयल्स के सिद्धार्थ त्रिवेदी। सचिन की पारी ने इन युवा क्रिकेटरों को एक बेहतर सबक सिखाया है। शेन वाटसन के उकसाने पर सौरभ तिवारी अपने संयम के साथ साथ विकेट भी खो बैठे। सौरभ को सचिन की पारी से यह सबक मिला कि गेंदबाजों की किसी भी प्रतिक्रिया को जेहन में लाए बगैर अपना नेचरल खेल जारी रखा जाए। गेंदबाजों को अपने दिमाग पर हावी नहीं होने दिया जाए। जुबान और शारिरिक प्रतिक्रिया की बजाए बेहतर शॉट्स सिलेक्शन से मुंह तोड जवाब दिया जाए। वहीं सिद्धार्थ की धीमी गेंद इस आईपीएल में घातक साबित हुई है, लेकिन सचिन के आगे उनका यह हथियार चल नहीं पाया बल्कि सचिन ने इसी धीमी गेंद से उन पर पलटवार कर दिया। सिद्धार्थ के दिमाग में क्या चल रहा है इसे मास्टर ब्लास्टर ने आसानी से समझ लिया। यही वजह है कि सिद्धार्थ का हथियार आत्मघाती साबित हुआ। इसके साथ ही उन्हें यह भी सबक मिला होगा कि हर किसी बल्लेबाज को एक ही तराजू में तौला नहीं जा सकता है।
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