इंग्लैड टीम के भारतीय मूल के स्पिनर मोंटी पनेसर ने 2005 में अपने पहले टेस्ट मैच में सचिन तेंदुलकर को आउट कर अपना पहला टेस्ट विकेट हासिल किया था। मोंटी ने उस गेंद पर सचिन के दस्तखत चाहे थे। सचिन ने खुशी खुशी दस्तखत तो कर दिए थे लेकिन साथ में यह लिखना नहीं भूले थे कि अब ऐसा दोबारा नहीं होगा। मोंटी अकेले ऐसे गेंदबाज नहीं है जिन्होंने अपने कैरियर के शुरूआती दौर में सचिन को आउट करने में सफलता हासिल की हो। तेंदुलकर को आउट करना किसी भी गेंदबाज के लिए ख्वाब होता है। खासतौर पर 21 सदी में जिस भी खिलाडी ने पदार्पण किया वह सचिन के खेल को देखते हुए ही बडा हुआ होता है। सचिन भी अमूमन नये गेदबाज को निराश नहीं करते और अपना विकेट उन्हें सौप देते है। इसी कडी मे पीयूष चावला का नाम भी शामिल है जिन्होंने 2005 में चैलेंजर ट्राफी के दौरान सचिन को अपनी गुगली पर बोल्ड किया था। चावला इस विकेट को हासिल कर उत्साहित तो हुए लेकिन उन्होंने मोंटी जैसी गलती नहीं की। पांच साल बाद जब वह फिर सचिन के सामने हुए तो उन्हें दोबारा बोल्ड करने में कामयाब हो गए। खास बात यह रही कि पीयूष की गेंदबाजी की बदौलत आईपीएल में फिसड्डी साबित हुई किंग्स इलेवन की टीम शीर्ष पर चल मुंबई इंडियंस को शिकस्त देने में कामयाब रही।
मुंबई का मध्यक्रम टूर्नामेंट की शुरूआत में उसकी सबसे बडी कमजोरी नजर आ रहा था। सचिन और जयसूर्या के बाद कौन यह सवाल आईपीएल में टीम की संभावनओं पर सवाल खडे कर रहा था। इस कमी को पहले ही मुकाबले में सौरभ तिवारी और अंबाटी रायडू ने एक मजबूत मध्यक्रम में बदल दिया। दोनों ने पहले दौर में टीम के लिए अहम मौके पर जिम्मेदारी भरी पारी खेली। अब यही दोनों बडी पारी खेलने में नाकाम रह रहे है। टूर्नामेंट जैसे जैसे आगे बढता जा रहा है मुंबई की सचिन पर निर्भरता भी बढती जा रही है। रायडू और तिवारी में काबिलियत है कि वह अपने मजबूत कंधों पर मुंबई को जीताने की जिम्मेदारी ले सके लेकिन उनमें संयम की कमी नजर आ रही है। मुंबई को अपने विजयी रथ को यूं ही सरपट दौडाना है तो इन दोनों को अपने खेल को उंचाईयों पर ले जाना होगा।
आईपीएल के पहले दोनों सीजन में मुंबई इंडियंस कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई थी। दोनों ही मर्तबा यह टीम सेमीफायनल में नहीं पहुंच पाई लेकिन दक्षिण अफ्रीकी ड्यूमिनी ही दो सीजन में मुंबई के लिए सफलतम बल्लेबाजों में शुमार रहे है। इसके बावजूद ड्यूमिनी को पंजाब किंग्स इलेवन के खिलाफ पहली बार मैदान में उतरने का मौका मिला। उनकी 35 रनों की पारी की वजह से मुंबई इस मुकाबले में सम्माजनक स्कोर खडा कर पाया। उनकी फील्डिंग तो लाजवाब है ही लेकिन इन सबसे बढकर उन्होंने किफायती गेंद करते हुए एक विकेट भी हासिल किया। उन्होंने अपने आलराउंड प्रदर्शन से साबित कर दिया कि उन्हें मौका नहीं देना किसी भी मायने में एक अच्छा सौदा नहीं कहां जा सकता।
वेस्टइंडीज के दो स्टार खिलाडियों पोलार्ड और ब्रेवो अब तक कोई खास कमाल नहीं दिखा पाए है। ब्रेवो कीअसफलता के चलते तो उनकी जगह ड्यूमिनी को मौका दिया गया है। वहीं चैंपियंस ट्राफी में धमाकेदार पारी खेलने वाले पोलार्ड पर मुंबई अब भी भरोसा जता रही है। आईपीएल के सबसे महंगे खिलाडी पोलार्ड को खुद को साबित करना होगा। साथ ही उन आलोचकों को जवाब भी देना होगा कि जो उन पर लगाई गई 7.5 करोड की बोली पर सवाल खडे कर रहे है।
पंजाब किंग्स इलेवन के लिए यह जीत सांत्वना के अलावा कुछ भी नहीं है। टीम के सेमीफायनल में पहुंचने की सारी संभावनाएं खत्म हो गई है। अब जब सम्मान बचाने के लिए पंजाब के लिए इस टूर्नामेंट में कुछ नहीं बचा है तब उसके खिलाडी फार्म में आ रहे है। नामी खिलाडियों की भरमार वाली इस टीम ने फार्म पाने में देर कर दी। यदि यह टीम शुरूआत में ऐसा प्रदर्शन करती तो सेमीफायनल की दौड अभी जितनी रोचक बनी हुई थी उससे कहीं ज्यादा रोचक हो जाती।
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