कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ बीसवें ओवर की अंतिम गेंद फेंके जाने के बाद डेल्ही डेयरडेविल्स के कप्तान गौतम गंभीर ने गुस्से में आकर अपनी च्युइंग गम मैदान पर ही थूक दी थी। कप्तान का बर्ताव किसी भी टीम के लिए अच्छा संकेत नहीं हो सकता। डेल्ही के लिए भी निराशा की यह नुमाइश अंतत अच्छा संकेत साबित नहीं हुई। कप्तान की प्रतिक्रिया साफतौर पर गेंदबाजों के खराब प्रदर्शन और एक बडे स्कोर का पीछा करने की निराश में छुपी हुई थी। कोलकाता नाइडराइडर्स ने अंतिम पांच ओवरों मे 55 रन जोडे। अंतिम ओवरों में गेंदबाजों की पिटाई ने गंभीर के आत्मविश्वास को हिला कर रख दिया। मैच में यही ओवर अंत में निर्णायक भी साबित हुए।
वार्नर और सहवाग के होते पॉवर प्ले किसी भी टीम के लिए संकट की सबसे बडी घडी साबित हो सकती है। यह दोनों जब तक विकेट पर हो कोई भी टीम चैन से नहीं बैठ सकती। वार्नर ने इस मुकाबले में स्कोर को कोई तकलीफ नहीं दी। वह डिंडा की लाजवाब गेंदबाजी के आगे खाता भी नहीं खोल पाए। डिंडा ने आईपीएल के इस सीजन के सबसे बेहतरीन ओवरों में से एक ओवर वार्नर को डाला। वार्नर को उन्होंने लगातार शरीर पर अटैक किया और शॉट्स खेलने के लिए कोई जगह बनाने नहीं दी। वार्नर का संयम डगमगा गया और डिंडा मानों उनके डंडे बिखेरने के लिए इसी का इंतजार कर रहे थे। अशोक डिंडा के लिए भारतीय टीम के दरवाजे आईपीएल के जरिए हुए खुले थे। हालांकि वह अपनी काबिलियत के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाए। अब वह जिस तरह गेंदबाजी कर रहे है उससे एक बार फिर भारतीय टीम के लिए वह दावेदारी कर सकते है।
वीरेन्द्र सहवाग और गौतम गंभीर टीम इंडिया की डूबती नैया को कई बार सुरक्षित किनारे पर लगा चुके है। इसके पहले वह यही भूमिका दिल्ली और उत्तर क्षेत्र के लिए निभाते आए है। ईडन गार्डन पर दिल्ली के ये दो बल्लेबाज कुछ उसी मुड में दिख रहे थे। डेयरडेविल्स लग रहा था कि आसानी से जीत की और बढ रही है, लेकिन गांगुली की डायरेक्ट हिट ने गंभीर को पैवेलियन लौटने पर मजबूर कर दिया। आगरकर एक बार फिर साझेदारी को तोडने में कामयाब हुए। उन्होंने सहवाग को बोल्ड कर मुकाबले का सबसे बडा विकेट हासिल किया। मुकाबला यहां से बिलकुल बदल गया है दबाव में डेल्ही का मध्यक्रम बिखर गया।
सौरव गांगुली इस आईपीएल में बिलकुल अलग अंदाज में नजर आ रहे है। गांगुली के भारतीय टीम से बाहर होने की वजह उनकी खराब फील्डिंग भी एक वजह थी। वहीं गांगुली अब चपल और चालाक फील्डर नजर आ रहे है। गंभीर को डायरेक्ट हिट से किया गया रन आउट गांगुली नहीं भूल पाएंगे। इसी मुकाबले में उन्होंने खतरनाक बन सकते केदार जाधव का बेहतरीन कैच भी लपका। गांगुली की फील्डिंग का स्तर दिनों दिन उंचा उठता जा रहा है। मुंबई इंडियंस के खिलाफ सौरभ तिवारी का जो कैच उन्होंने लपका था वैसा कैच तो वह अपने स्वर्णिम काल में भी लेते हुए नहीं के बराबर ही दिखे है। इसके अलावा गांगुली गेंदबाजी उसी वक्त करते थे जब विरोधी टीम दबाव में होती है लेकिन यहां पर जब डेल्ही के बल्लेबाज दबाव बनाए हुए थे वहां भी उन्होंने गेंदबाजी करने की हिम्मत दिखाई। यह सब तो है ही इसके अलावा दादा की बल्ले से दादागिरी भी जारी है। वह कप्तानी के साथ साथ अपने परफार्मेंस से टीम के के खिलाडियों को प्रेरित कर रहे है।
गांगुली के बाद अंत में बात इकबाल अब्दुला की। 2008 में भारत ने जूनियर वर्ल्ड कप फतह किया था तो उसमे इकबाल अब्दुला का भी अहम रोल था। इस टीम के विराट कोहली, मनीष पांडे के नाम तो अब क्रिकेट प्रेमियों की जुबां पर है। डेल्ही के खिलाफ मुकाबले के बाद इकबाल अब्दुला ने भी अपने प्रशंसकों की संख्या में खासी बढोत्तरी हो गई है। इकबाल उस वक्त बल्लेबाजों पर नकेल कसने में कामयाब रहे है जब बल्लेबाजों को लायसेंस मिल जाता है बेरहम होकर गेंद को पीटने का। ऐसे वक्त मैथ्यूज और अब्दुला की कसावट भरी गेंदबाजी की वजह से कोलकाता मैदान मारने में कामयाब रहा। कोलकाता के लिए यह जीत टूर्नामेंट में बने रहने के लिए संजीवनी है तो डेल्ही के लिए यह वक्त जागने का है वर्ना सितारों से सजी इस टीम की चमक फीकी पडने में देर नहीं लगेगी।
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