
मुंबई को डेक्कन चार्जर्स के खिलाफ सीजन का दूसरा और अपने घरेलू मैदान पर आखरी मुकाबला खेलना था। इस सीजन में मुंबई के मध्यक्रम की रीढ की हड्डी रहे सौरभ तिवारी का दांत के दर्द और उल्टियों की वजह से बुरा हाल था। सेहत बेहद खराब थी और सौरभ के इस मुकाबले में खेलने की संभावनाएं नहीं के बराबर थी। झारखंड का यह खिलाडी भी इसके लिए मानसिक रूप से तैयार था। कभी न हार मारने वाले टीम के कप्तान सचिन तेंदुलकर को यह मंजूर नहीं था। उन्होंने कुछ और ही सोच रखा था। उन्होंने सौरभ को विपरीत हालातों में भी खुद को मानसिक रूप से मजबूत होकर मुकाबला खेलने के लिए तैयार किया। कप्तान के इस दर्द से उनका दर्द दूर हुआ या नहीं यह दीगर बात है पर उनकी बल्लेबाजी ने डेक्कन चार्जर्स को हार का एक और जख्म दे दिया।
उत्तर भारतीय सौरभ तिवारी और दक्षिण भारतीय अंबाटी रायडू की जोडी क्रिकेट के मैदान पर तो मुंबईकरों के दिल जीतने का सिलसिला बरकरार रखे हुए है। सचिन के 35 रनों पर आउट होने के बावजूद उन्होंने न तो खुद को नहीं टीम को किसी तरह के दबाव में आने दिया। दोनों के बीच हुई साझेदारी ने डेक्कन के सामने एक मुश्किल लक्ष्य खडा कर दिया। खासतौर पर रायडू ने जसकरन के 19 ओवरों में 20 रन बनाकर मैच को मुंबई के पक्ष में मोड दिया। केवल बल्लेबाजों ने नहीं डेक्कन की खराब फील्डिंग ने भी मुंबई टीम को एक बडा स्कोर खडा करने का मौका दिया। सौरभ तिवारी के दो कैच छोडना आखिर में डेक्कन को महंगा साबित हुआ।
इस बार मुंबई इंडियंस और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू का गेंदबाजी अटैक बेहद मजबूत होने के साथ साथ विविधता भरा नजर आ रहा है। डेक्कन के बल्लेबाजों की मुंबई के गेंदबाजों के खिलाफ एक भी नहीं चली। कुछ खराब शॉट्स सिलेक्शन ने मुंबई के गेंदबाजों की मुश्किल को और आसान कर दिया। मलिंगा और हरभजन सिंह तो बल्लेबाजों की नाक में दम किए हुए ही है। जहीर खान, मेक्लरन और पोलार्ड की दाढ में भी अब विकेटों का खून लग गया है। ऐसे में यदि यह खूंखार हो गए तो फिर मुंबई को रोकना नामुमकिन होगा।
डेक्कन के लिए आईपीएल में आगे का सफर बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है। गत विजेता टीम पर अब सेमीफायनल की दौड में से बाहर होने का खतरा मंडरा रहा है। टीम के लिए एक हार भी सेमीफायनल का रास्ता रोक सकती है। गिलक्रिस्ट को अब टीम को एक मजबूत शुरूआत देनी होगी। इसके अलावा भारतीय खिलाडियों को भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करना होगा। रोहित शर्मा के अलावा कोई भी भारतीय बल्लेबाज का बल्ला डेक्कन के लिए नहीं बोल रहा है। डेक्कन की नाकामी की यही सबसे बडी वजह है जबकि पाइंट टेबल में शीर्ष पर बनी बाकी टीमों को यह पोजीशन भारतीय बल्लेबाजों के जोरदार खेल ही दिलाई है।
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