अजीमो-शान-शहंशाह

मुं‍बई इंडियंस और चेन्‍नई सुपर किंग्‍स के खिलाफ गुरूवार को मुकाबला अंतिम ओवरों में था। मेरे सहयोगी विजय मांडगे का भूख के मारे बुरा हाल था, लेकिन मैं उस महामानव की भूख की एक एक झलक देखने को बेताब था, जिसकी भूख बीस सालों से साल दर साल बढती जा रही है। उसकी ये भूख रनों की है और ये जैसे जैसे बढती जाती है एक अरब लोगों की आत्‍मा तृप्‍त होती जाती है। जाहिर है बताने की जरूरत नहीं बात क्रिकेट के शेर सचिन तेंदुलकर की हो रही है जो अपनी रनों की भूख को मिटाने के लिए गेंदबाजों का शिकार कर रहे है। इस बार शेर का कहर चेन्‍नई के गेंदबाजों पर टूटा। हालांकि क्रिकेट का ये शेर गेंदबाजों का शिकार करता तो है लेकिन अपने ही शहंशाही अंदाज में। ये अंदाज जंगल के शेर से बेहद अलग है। सचिन का बल्ला गेंदबाजों पर उसी तरह वार करता है जैसे बटर के टुकडे को छुरी बगैर कुछ खास कोशिश किए भेद देती है।

सचिन 2010 में बेहतरीन फार्म में चल रहे है। 24 फरवरी को ग्‍वालियर में 200 रनों की पारी खेल उन्‍होंने इतिहास रच दिया था। धोनी उस वक्‍त खुद को खुशनसीब मान रहे थे कि वह विकेट के दूसरी और मौजूद रहते हुए इस ऐतिहासिक पारी के गवाह बनें। ब्रेबोर्न स्‍टेडियम पर जब सचिन बल्‍लेबाजी कर रहे थे तब भी धोनी मैदान पर मौजूद थे। लेकिन ये पारी न तो धोनी और नहीं उनकी टीम को रास आई। सचिन की इस पारी ने चेन्‍नई सुपर किंग्‍स को अंक तालिका में काफी नीचे पहुंचा दिया। एमएस धोनी की वापसी से चेन्नई को मजबूती मिली थी। साथ ही टीम को उम्मीद जगी थी कि धोनी के साथ टीम का लक फेक्‍टर भी लौट आएगा। सचिन के होते हुए ऐसा कुछ नहीं हो पाया। सचिन ने इंटरनेशनल टी20 को भले ही अलविदा कह दिया हो, लेकिन मास्‍टर यहां ये साबित कर रहे है कि वह क्रिकेट के इस विधा के भी शहंशाह है। इस मुकाबले में चेन्‍नई के जीतने की जो थोडी बहुत संभावनाएं भी बनी थी उसे मास्‍टर की ब्‍लास्‍टर पारी ने खत्‍म कर दिया।

देश की राजधानी दिल्‍ली के लिए घरेलू श्रृंखला में शिखर धवन को बल्‍ला खूब रन उगलता रहा है। आईपीएल में वह यही भूमिका देश की व्‍यावसायिक राजधानी मुंबई के लिए अदा कर रहे है। आउट ऑफ फार्म चल रहे जयसूर्या की जगह अपने चयन को शिखर धवन ने एक बार फिर सार्थक साबित किया। सचिन के साथ पहले विकेट के लिए नौ ओवरों में 92 रनों की साझेदारी से उन्‍होंने मुंबई के जीत की बुनियाद रखी। फार्म में चल रहे सौरभ तिवारी और सतीश जल्‍दी जल्‍दी आउट हो गए। ऐसे में सचिन ने वहीं किया जो पिछले 20 साल से सचिन की पहचान बना हुआ है। मुंबई को 48 गेंदों पर 75 रनों की दरकार थी। चेन्‍नई का पलडा धीरे धीरे भारी हो रहा था। सचिन ने इसी मोड पर विरोधी टीम के सबसे भरोसेमंद गेंदबाज मुरलीधरन को अपना निशाना बनाया। मुरली को जमाए छक्‍के के बाद मुंबई के रनों की गति एक बार फिर तेज हो गई। सचिन चाहते तो थे कि वह नाबाद रहकर टीम को जीत दिलाए, लेकिन दहलीज तक आते आते उन्‍हें पैवेलियन लौटना पडा। सचिन जब आउट हुए मुंबई की जीत महज रस्‍म अदायगी रह गई थी।

हैडन और पार्थिव पटेल के शुरूआती ओवरों में ही पैवेलियन लौटने के बाद भी चेन्‍नई की टीम शुरूआत में ही दबाव में आ गई। इस पूरे सीजन में चेन्‍नई एक अच्‍छी शुरूआत के लिए जूझ रही है। मुंबई के खिलाफ हैडन और पार्थिव पटेल शुरूआती ओवर में ही पैवेलियन लौट गए। इस बार रैना ने टीम पर किसी तरह का दबाव आने नहीं दिया। पिछले मैचों में उनकी बल्‍लेबाजी पर कप्‍तानी का दबाव नजर आ रहा था। चोटिल धोनी के वापसी के बाद रैना इस दबाव से भी मुक्‍त नजर आए। बद्रीनाथ ने उनका बखूबी साथ और मुंबई के गेंदबाज विकेटों के लिए तरस गए।

चेन्‍नई की पूरी पारी सुरेश रैना और ब्रदीनाथ के आसपास ही मंडराती रहीं। सुरेश रैना के बल्‍लेबाजी की स्‍टाइल कुछ कुछ आस्‍ट्रेलियाई खिलाडियों जैसी है। पॉवर हिटिंग में माहिर रैना दबाव में नहीं आते है। उनके शब्‍दकोश में बचाव के मायने आक्रमण है। वह अटैक इज द बेस्‍ट डिफेंस पॉलिसी पर भरोसा करते है। इसके बावजूद एक वक्‍त 200 रनों की और बढ रही चेन्‍नई को अफसोस होगा की अंतिम ओवरों में मलिंगा ने रनों की गति पर ब्रेक लगा दिया। अंतिम पांच ओवरों में चेन्‍नई ने 54 रन जोडे जबकि आठ विकेट हाथ में होने पर इससे ज्यादा रनों की उम्मीद थी। ब्रेक केवल रनों की गति पर ही नहीं लगा है बल्कि चेन्‍नई की जीत पर भी ब्रेक लगा हुआ है। टीम की बल्‍लेबाजी तो कुछ हद मजबूत मानी जाती है, लेकिन गेंदबाज टीम को अमूमन नीचा दिखा रहे है। आईपीएल में बल्‍लेबाजी हो या गेंदबाजी कुछ एक ओवर ही पूरे मैच का रूख तय कर देते है। चेन्‍नई की बदकिस्‍मती यहीं रही की मैच के नतीजे बदलने वाले ओवर उसके बजाए विरोधी टीम के खाते में चले गए।

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