कॉमनवेल्थ खेल दिल्ली में होने है और मुंबईकर सचिन तेंदुलकर का नाम ब्रांड एंबेसडर के रूप में सबसे उपर है। सचिन ब्रांड एंबेसडर हो सकते है यह खबर जब सामने आई उसी वक्त मुंबई और दिल्ली का दूसरा कॉम्बिनेशन भी जुड रहा था। यह कॉम्बिनेशन सुदूर दक्षिण के चेन्नई शहर में मुंबई इंडियंस को धीरे धीरे जीत की दहलीज पर ले जा रहा था। मुंबई इंडियंस में सचिन के जोडीदार शिखर धवन दिल्ली की नुमाइंदगी करते है। सचिन और धवन की जोडी छह ओवर में 46 रन जोड लिए थे और लग रहा था कि मुंबई लक्ष्य तक आसानी से पहुंच जाएगी। वही सचिन को डी हाईड्रेशन की वजह से मैदान से बाहर जाना पडा और उनके जाने के साथ ही मुंबई की किस्मत ने भी उसका साथ छोड दिया।
मुंबई का मध्यक्रम अब तक इस पूरी प्रतियोगिता में बेहद मजबूती से सामने आया है। चेन्नई के खिलाफ यही मध्यक्रम बुरी तरह लडखडा गया। सचिन तेंदुलकर के रिटायर्ड हर्ट होने के बाद बल्लेबाजों ने अपनी जवाबदारी नहीं समझी। धीमे होते विकेट पर चेन्नई के गेंदबाजों का शिकंजा कसता ही गया। एक वक्त जो लक्ष्य बेहद आसान नजर आ रहा था वह मुंबई की पहुंच से बाहर होता गया। सचिन जब वापस लौटे उस वक्त तक रन रेट की बहुत उपर जा चुका था। उन्होंने हरभजन सिंह के साथ कोशिश की लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। मुंबई ने एक जीता हुआ मैच गंवा दिया और इसके लिए विरोधी टीम का बेहतर प्रदर्शन कम मुंबई के बल्लेबाजों का लचर प्रदर्शन ज्यादा जवाबदार है।
यह मुकाबला पूरी तरह से सचिन तेंदुलकर के आसपास ही केन्द्रित रहा। दोनों ही टीमों के बल्लेबाज कोई खास कमाल नहीं दिखा पाए। सचिन ने पूरी तरह फिट नहीं होने के बावजूद 45 रनों की पारी खेली और यह मैच में किसी खिलाडी के बनाए सर्वाधिक रन थे। इस पूरे मुकाबले का गौर से देखे तो कोई भी बल्लेबाज बडा स्कोर खडा करने में नाकाम रहा। सचिन जब तब तक विकेट पर थे मुंबई की जीत आसान लग रही थी। सचिन रिटायर्ड हर्ट हुए तो मुंबई के लिए यही लक्ष्य पहाड समान हो गया।
चेन्नई के लिए हेडन का फार्म में नहीं होना हेडेक साबित हो रहा है। आस्ट्रेलियाई के इस शक्तिशाली खिलाडी से चेन्नई को काफी उम्मीदे है। वह शुरूआत को अच्छी कर रहे है लेकिन उसे बडी पारी में तब्दील नहीं कर पा रहे है। डेल्ही के खिलाफ 93 रनों की पारी के अलावा वह अब तक कोई चमत्कार नहीं दिखा पाए है। मंगूस बल्ले से उन्होंने यह पारी खेली थी। इसके बाद लगा था कि यह सीजन उनके नाम होगा लेकिन वे अपनी ख्याति के अनुरूप अब तक प्रदर्शन करने में नाकाम रहे है। उनकी नाकामी का खामियाजा चेन्नई को भुगतना पड रहा है।
मुंबई की लगातार पांच मैचों के बाद यह पहली हार है। हालांकि इसके बावजूद पाइंट टेबल पर उसके शीर्ष क्रम को कोई खतरा नहीं है। चेन्नई के लिए यह जीत बेहद जरूरी थी। मुंबई को सेमीफायनल में अपना स्थान पक्का करने के लिए बस एक जीत की जरूरत है लेकिन चेन्नई के लिए अब हर जीत मायने रखेगी। मुंबई के अलावा सेमीफायनल की बाकी तीन जगहों के लिए संघर्ष कडा है। ऐसे में एक जीत भी सारे समीकरण बदल कर रख देगी।
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