मी मुंबईकर

मुंबई में दशकों पहले दक्षिण भारतीयों को लेकर विवाद हुआ था अब उसी मसले को लेकर उत्‍तर भारतीय निशाने पर है। ये बवाल थमने की बजाए दिनों दिनों बढता ही जा रहा है। सियासती दांव पेंच ने शह और मात के इस खेल को तेज कर दिया है। ऐसे में एक मुंबईकर, एक दक्षिण भारतीय और एक उत्‍तर भारतीय ने मिलकर न केवल करोडों मुंबईवासियों को बल्कि देशवासियों को अपना दीवाना बना लिया है। बात बस इतनी है कि ये मैदान सियासती न होकर क्रिकेट का है। 

झारखंड के सौरभ तिवारी, हैदराबाद के अंबाटी रायडू और मुंबई के सचिन तेंदुलकर, अनुभव और सफलता के पैमाने पर इन तीनों का कोई मेल नहीं है। इन तीनों को क्रिकेट के अलावा कोई और बात फिलहाल जोडती है तो वह है उनकी टीम मुंबई इंडियंस।
ये तिकडी आईपीएल में मुंबई की जीत का फार्मूला बन गई है। मुंबई के ब्रेबोर्न स्‍टेडियम के बाद दिल्‍ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को जब इस तिकडी ने मुंबई इंडियंस को आईपीएल में अपनी लगातार दूसरी जीत दिलाई हो। खासतौर पर झारखंड के 20 साल के सौरभ तिवारी का बल्‍ला इन दो मुकाबलों में जमकर बोला। पहले मुकाबले में अर्धशतक जमाने के बाद उन्‍हें सचिन से कई गुर सीखने को मिलें। इस शिष्‍य ने डेल्‍ही डेयरडेविल्‍स के खिलाफ अपने गुरू को निराश नहीं किया। चौके और छक्‍के की झडी लगाते हुए इस बल्‍लेबाज ने पहले सचिन और फिर अंबाटी रायडू के साथ साझेदारी कर आईपीएल के इतिहास में मुंबई का सर्वाधिक स्‍कोर खडा कर दिया। तिवारी के साथ साथ रायडू ने भी कलात्‍मता और आक्रमक खेल की बेहतरीन झलक पेश की।


सचिन के तो क्‍या कहनें। जैसे जैसे उम्र बढती जा रही है उनके खेल में ताजगी बढती जा रही है। किसी भी साजिंदे को संगत के पहले सुर से तालमेल बैठाना पडता है, लेकिन सचिन का बल्‍ला तो पहली ही गेंद से सुर में बहने लगता है। फिरोजशाह कोटला पर भी ऐसा ही हुआ। नैनिस की पहली गेंद पर ही उन्‍होंने चौका जमाकर अपनी बल्‍लेबाजी की महफिल सजा दी। दिल्‍ली के दर्शक आए तो अपनी टीम की हौंसला अफजाई के लिए थे, लेकिन वह भी इस महफिल का‍ हिस्‍सा बनकर सचिन के हर शॉट्स पर कसींदे गढते नजर आए।

सचिन के इस पारी की ये खासियत रहीं कि वह पहली ही गेंद के डेल्‍ही डेयरडेविल्‍स के गेंदबाजों पर हावी हो गए। उनके बल्‍ले से निकले सारे शॉट्स कलात्‍मता ओढे हुए थे। 33 गेंदों पर 66 रनों की इस पारी में एक भी सिक्‍स नहीं था। सब कुछ टाइमिंग का कमाल था। डेयरडेविल्‍स के सारे गेंदबाजों के मुकाबले नैनिस सबसे किफायती साबित हुए। उन्‍होंने 4 ओवरों में 35 रन दिए, लेकिन वह विकेट के लिए तरस गए।
नैनिस की चाहत तो थी कि उन्‍हें मुकाबले का सबसे बडा विकेट मिले यानि की सचिन तेंदुलकर को आउट करने का मौका मिले, लेकिन सचिन ने उन्‍हें कोई मौका नहीं दिया। क्रिकेट के पटल पर तेजी से अपनी धाक जमाते जा रहा ये गेंदबाज भी मास्‍टर ब्‍लास्‍टर के सामने बेबस नजर आया।

दिल्‍ली में मुकाबला होने से घरेलू दर्शक इस उम्‍मीद में आए थे कि उनकी टीम आईपीएल में अपने जीत की लय को बरकरार रखेगी। 219 रनों का लक्ष्‍य बडा था, लेकिन सहवाग के होते किसी भी लक्ष्‍य को मुश्किल नहीं कहां जा सकता। पहले तीन ओवरों में 33 रनों का स्‍कोर खडा करने के बाद सहवाग और दिलशान की जोडी खतरनाक नजर आ रही थी। ऐसे में राजस्‍थान रॉयल्‍स के यूसुफ पठान की याद ताजा हो गई, जिन्‍होंने ताबडतोड बल्‍लेबाजी कर मुंबई के खिलाफ अपनी टीम को जीत के बेहद करीब ला दिया था। यहीं पर क्रिकेट का असली रंग देखने को मिला। दिलशान आउट क्‍या हुए मैच का मिजाज ही बदल गया। दिलशान के बाद सहवाग भी पेवेलियन लौट गए। इसके बाद तो पोलार्ड, ब्रावो, जयसूर्या और हरभजन की गेंदबाजी के आगे डेयरडेविल्‍स के मध्‍यक्रम ने घुटने टेक दिए।

डेयरडेविल्‍स के लिए ये मुकाबला दोहरा आघात साबित हुआ। टीम को करारी‍‍ शिकस्‍त तो झेलनी ही पडी, मांसपेशियों में खिंचाव के चलते टीम के कप्‍तान गौतम गंभीर को भी मैदान से दूर कर दिया है। ऐसे में खिताब की तगडी दावेदार मानी जा रही डेयरडेविल्‍स की टीम अचानक से कमजोर नजर दिख रही है। खासतौर पर यदि सहवाग का बल्‍ला नहीं चलता है तो मध्‍यक्रम में बिखराव आ जाता है। हालांकि अभी आईपीएल शुरूआती दौर में है, लेकिन यहां हर जीत और हार से मायने बदल जाते है। खासतौर पर जीत की आदत को बरकरार नहीं रखा गया तो यहां जीत के सिलसिले के बनिस्‍बत हार का सिलसिला लंबा चलता है।

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