
टी20 मुकाबले में हर गेंद का अपना रोमांच होता है। 120 120 गेंदों की पारी की एक एक गेंद क्रिकेट के इस फार्मेट के रोमांच को चरम पर ले जाती है। इस फार्मेट का हिस्सा सुपर ओवर इन सब रोमांच पर भारी पड रहा है। 12 गेंदों का मुकाबला 240 गेंदों के बनिस्बत कहीं ज्यादा जानलेवा साबित हो रहा है। आईपीएल के मुकाबले में तो सुपर ओवर मैदान पर खिलाडियों के बजाए दर्शकों की धडकन ज्यादा तेज किए हुए है। सुपर ओवर में सही मायनों में जीत किसी टीम की नहीं बल्कि क्रिकेट की होती है। हालांकि सुपर ओवर का ये खेल श्रीलंकाई गेंदबाजों को रास नहीं आ रहा है। आईपीएल के इतिहास के दो सुपर ओवरों में उसी टीम को मुंह का हार देखना पडा है जिसने बाद में गेंदबाजी की है। बदकिस्मती से दोनों ही मर्तबा बलि का बकरा श्रीलंकाई गेंदबाज बनें। पिछले सीजन में यूसुफ पठान ने अजंथा मेंडिस का भुरता बना दिया था। इस बार एम फेक्टर के दूसरे साझेदार मुथ्ौया मुरलीधरन ओवर ऑफ डेथ का शिकार बनें।
आईपीएल के इस मुकाबले से चेन्नई के दर्शकों के टिकिट के पूरे पैसे वसूल हो गए हो, लेकिन घरेलू दर्शकों के लिए अंतिम नतीजा निराशाजनक रहा। दर्शक जिस मुकाबले को एकतरफा समझकर अपनी टीम चेन्नई सुपर किंग्स की जीत के जश्न में डूबे जा रहे थे। उसी चेन्नई सुपर किंग्स के बल्लेबाजों ने गैर जिम्मेदाराना शॉट्स खेलकर अपनी टीम को डूबो दिया। टीम को अंतिम पांच ओवरों में महज 28 रनों की दरकार थी। विकेट पर पार्थिव पटेल और मोर्कल थे। पंजाब के लिए मुकाबले के इस मोड पर जीत की बात करना भी बेमानी होता है। किंग्स इलेवन ने किसी चमत्कार की उम्मीद भी नहीं की होगी, लेकिन चेन्नई के बल्लेबाज तो मानो ये ठानकर ही आए थे कि उन्हें इस मुकाबले में किसी भी कीमत पर जीत हासिल नहीं करना है।
चेन्नई की हार के लिए भारतीय टीम में वापसी की दावेदारी कर रहे पार्थिव पटेल कर रहे सबसे ज्यादा जवाबदार है। जीत के लिए 18 गेंदों पर 20 रनों की जरूरत थी। अठारहवें ओवर की पहली ही गेंद पर पार्थिव ने चौका जमाकर समीकरण पूरी तरह से घरेलू टीम के पक्ष में कर दिए थे। पार्थिव पटेल इसके बाद खुद को मैच विनर साबित करने के लिए पीयूष चावला की अगली गेंद को भी आगे बढकर बाउण्ड्री लाइन से बाहर पहुंचाने क्रीज से बाहर निकले, गेंद तो वहीं रही पार्थिव को जरूर अंपायर ने पैविलियन की राह दिखा दी। मुरली विजय तो इस मुकाबले में खाता ही नहीं खोल पाए और फार्म में चल रहे बद्रीनाथ भी दो रन बनाकर युवराज के शिकार बन गए। मार्केल का बल्ला भी खामोश रहा इसका नतीजा ये रहा कि जिस मुकाबले को चेन्नई को आसानी से जीत लेना चाहिए था उसे उसने सुपर ओवर में पहुंचा कर गंवा दिया।
प्रिटी जिंटा के चेहरे पर मुस्कुराहट लौट आई है। तीन नजदीकी मुकाबलें गंवाने के बाद अब उनकी टीम ने आईपीएल में पहली जीत दर्ज की है। पहले तीनों मुकाबलों का नतीजा किंग्स इलेवन की गलतियों से तय हुआ था। ये मुकाबला भी टीम ने अपनी काबिलियत से नहीं बल्कि विरोधी टीम की मेहरबानी से जीता है। किंग्स इलेवन के लिए दिक्कत ये है कि यदि गेंदबाज का प्रदर्शन अच्छा रहा तो बल्लेबाज नैया डूबो देते है और ऐसा ही कुछ गेंदबाजों का हाल रहा है जब बल्लेबाज चल निकलते है। ऐसे में ये जीत टीम के लिए संजीवनी बूटी का काम कर सकती है।
आखिर में बात युवराज की। नाम उनका भले ही युवराज हो लेकिन अपने अनुभव और आलराउंड प्रदर्शन के लिहाज से वह किंग्स इलेवन के युवराज नहीं बल्कि शहंशाह है। अब तक युवराज आईपीलए में कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाए थे। इस मुकाबले के पहले उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा था। अब उनका बल्ला चल निकला है तो किंग्स इलेवन के राहत की बात है। हालांकि, मुथैया मुरलीधरन पहली गेंद पर बीट होने के युवराज ने जो शॉट्स खेला वह आत्मघाती भी साबित हो सकता था। याद कीजिए टी20 वर्ल्ड कप का फायनल मिस्बाह उल हक ने इम्प्रोवाइज कर शॉट्स खेला था। इस शॉट्स से मिस्बाह ने अपना विकेट खोया और पाकिस्तान ने टी20 वर्ल्ड कप का खिताब।
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