रंगीलो राजस्‍थान

राजस्‍थान रॉयल्‍स ने आईपीएल के पहले सीजन में खिताब पर कब्‍जा जमाया था उस वक्‍त किसी को ये यकीन नहीं था कि नवोदित खिलाडियों वाली ये टीम ये कारनामा भी कर सकती है। रॉयल्‍स की जीत का राज किसी असाधारण खिलाडी की वजह से नहीं बल्कि साधारण खिलाडियों के असाधारण और संयुक्‍त प्रयासों में छुपा था। आईपीएल3 के शुरूआती तीनों मुकाबलों में टीम में इसकी जरा भी झलक नहीं मिली। वहीं टीम अहमदाबाद के मोटेरा स्‍टेडियम पर उसी लय को दोबारा हासिल करती दिखी। बल्‍लेबाज हो या गेदबाज हर खिलाडी ने अपनी जवाबदारी को बखूबी समझा। नतीजा ये रहा है कि राजस्‍थान की टीम ने जीत की राह पर सरपट दौडना शुरू कर दिया है। वहीं कोलकाता के विजयी रथ पर ब्रेक लग गए है।

टॉस जीतने के बाद शेन वॉर्न ने पहले बल्‍लेबाजी करने का फैसला लेने में जरा भी देर नहीं लगाई। वॉर्न की नजर में 175 रनों का स्‍कोर जीतने के लिए काफी है। लम्‍ब के पहली ही गेंद पर आउट होने के बाद लगा कि आईपीएल के तीसरे संस्‍करण में राजस्‍थान के हार का सिलसिला बदस्‍तूर जारी रहेगा। ऐसे में नमन ओझा का साथ देने आए फैज फजल ने मुकाबले का रूख ही बदल कर रख दिया। यूसुफ पठान के जल्‍दी आउट होने और मैस्‍करेनस, ग्रीम स्मिथ जैसे खिलाडियों की गैरमौजूदगी के बावजूद टीम ने 168 रनों का स्‍कोर खडा कर लिया। इसमें फजल के अलाव अभिषेक झुनझुनवाला और वोग्‍स की लाजवाब पारी का भी अहम योगदान रहा।

राजस्‍थान के फ्लाप शो के बीच अभिषेक झुनझुनवाला ने इस आईपीएल में अपनी काबिलियत साबित‍ की है। इस मुकाबले में 36 गेंदों पर 45 रनों की उनकी पारी ने सही मायनों में राजस्‍थान के जीत की नींव रखीं। वैसे तो क्रिकेट का ये फॉरमेंट जहां बिग हिट की डिमांड करता है वहां अभिषेक गैप्‍स में खेलकर भी रनों की गति पर असर पडने नहीं देतें। वे कलात्‍मक शैली का प्रतिनिधित्‍व करते है। क्षेत्ररक्षण को वे आसानी से भेद लेते है। राजस्‍थान की टीम हर साल किसी न किसी खिलाडी के अपना हूनर साबित करने के लिए बेहतर मंच साबित हो रहा है। पिछले साल नमन ओझा उभर कर सामने आए थे, इस बार अभिषेक झुनझुनवाला अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे है।
आईपीएल के इस सीजन में ज्‍यादातर मुकाबलों के नतीजें जीतने वाली टीम की काबिलियत से नहीं बल्कि हारने वाली टीम के गैर जिम्‍मेदाराना प्रदर्शन से तय हुए है। ये मुकाबला भी कुछ ऐसा ही रहा। 169 रनों का लक्ष्‍य कोलकाता को मुश्किल नजर नहीं आ रहा था। उसके खिलाडियों की बॉडी लैंग्‍वेज भी ये बता रही थी कि मुकाबला उनके कब्‍जे में है। हालांकि पारी की शुरूआत के बाद ओवर दर ओवर कोलकात की चिंता बढती गई और अंतिम ओवरों में तो कोलकाता मुकाबले से बाहर हो गई।

दरअसल, मोटेरा की धीमी विकेट पर सधी हुई शुरूआत के बाद कोलकाता को लगा की अंतिम ओवरों में तेज खेलकर लक्ष्‍य को हासिल कर लिया जाएगा। ये विकेट ओवर दर ओवर धीमा होता गया। गांगुली हो या ओवेस शाह धीमी गेंदों ने उनकी लय को बिगाड कर रख दिया। कोलकाता का शीर्ष क्रम रनों के जुझता रहा। मैथ्‍यूज और ओवेस शाह जैसे बिग हिटर अधिकांश ओवर पैवेलियन में ही बैठे रहें। जाहिर है कि कोलकाता को रणनीति में बदलाव की जरूरत है, वर्ना पिछले दो आईपीएल की तरह इस बार भी टीम फिसड्डी साबित होगी।

कुछ बात यूसुफ पठान की। गेंदबाजों ने उनकी कमजोरी को पहचान लिया है। शार्ट पिच गेंदों को खेलने में उन्‍हें दिक्‍कत आती है। शुरूआती गेंदों पर यदि उन पर नकेल कसी जाए तो वो संयम के साथ विकेट भी खो देते है। हालांकि बल्‍ले से नाकाम रहने वाला ये पठान गेंदबाजी में कमाल कर गया। पावरप्‍ले में शेन वॉर्न ने उनसे गेंदबाजी कराई, लेकिन बल्‍लेबाजी की तरह गेंदबाजी में भी उन्‍होंने दिलेरी दिखाई। दबाव में आए बगैर उन्‍होंने कसावट भरी गेंदबाजी की बल्कि दो अहम विकेट भी लिए। झुनझुनवाला की बल्‍लेबाजी और यूसुफ की गेंदबाजी ही जीत हार का सबसे बडा अंतर अंत में साबित हुई।

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