धोनी बिन सब सुन

क्रिकेट में एक बेहद सामान्‍य बात कहीं जाती है कि कैचेस विन द मैचेस। क्रिकेट का मुकाबला किसी भी स्‍तर का हो कि यदि आप कैच लपकते रहे तो आपकी टीम मुकाबला जीत जाएगी। ये बेहद बुनियादी बात चेन्‍नई सुपर किंग्‍स के क्षेत्ररक्षण समझ नहीं पाए। उन्‍होंने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू के खिलाफ कैच छोडे और मैच गंवा दिया। इस मैच के हीरो रहे रॉयल चैलेंजर्स के रॉबिन उत्‍थपा। 38 गेंदों पर 68 रनों की पारी खेल अपनी टीम के जीत की बुनियाद रखी। रॉबिन की इस पारी को आगे बढाने में सुपर किंग्‍स के फील्‍डरों की भी अहम भूमिका निभाई। पांच और 25 रन के निजी स्‍कोर पर उन्‍हें दो जीवनदान मिले। इसी का फायदा उठाते हुए उत्‍थपा ने अंतिम 19 गेंदों पर 52 रन जुटा लिए। एक वक्‍त सवा सौ रनों के स्‍कोर के लिए जुझ रही टीम 171 रनों का स्‍कोर खडा कर विरोधी टीम के खिलाफ मनोवैज्ञानिक बढत ले लेती है। रॉबिन की पारी है आखिर में बेंगलुरू के जीत की वजह बनी।

इस मुकाबले में वह हुआ जो अब तक आईपीएल3 में नहीं हुआ। आरेंज कैप हासिल करने वाले दक्षिण अफ्रीकी बल्‍लेबाज जैक कैलिस को पहली बार कोई गेंदबाज आउट करने में कामयाब रहा है। ये सेहरा बंधा चेन्‍नई के ही लक्ष्‍मीपति बालाजी पर। तीन मुकाबलों के बाद ये पहला मौका था जब बेंगलुरू का पहला विकेट इतने जल्‍दी गिरा हो। कैलिस को आउट करने का श्रेय भले ही बालाजी को मिला हो लेकिन बेंगलुरू के असली मुसीबत मुथैया मुरलीधरन साबित हुए। उन्‍होंने आते ही बेंगलुरू के बल्‍लेबाजों पर शिकंजा कस दिया। उनके सामने मनीष पांडे भी खुलकर बल्‍लेबाजी नहीं कर पा रहे थे। मुरलीधरन ने दो ओवरों में द्रविड और पांडे का आउट कर बेंगलुरू की उम्‍मीदों को करारा झटका दिया। इसके बाद उन्‍होंने खतरा बनते जा रहे विराट कोहली को भी पैवेलियन का रास्‍ता दिखा दिया। दूसरी और से सुदीप त्‍यागी की कसावट भरी गेंदबाजी से बेंगलुरू का रन रेट काफी कम हो गया और टीम गहरे दबाव में थी। ये दबाव और गहरा जाता यदि मुरलीधरन की गेंद पर उत्‍थपा का कैच अश्विन लपक लेते।

18 ओवरों के बाद बेंगलुरू का स्‍कोर 130 रन था। ऐसे में चेन्‍नई को एक आसान लक्ष्‍य की उम्‍मीद थी। अंतिम दो ओवरों ने सारी उम्‍मीदों पर पानी फेर दिया। बालाजी ने 19 वां ओवर डाला जिसमें 24 रन बने तो अश्विन की आखरी ओवर में 17 रन बनें। मुरली के 4 ओवरों में 25 रन देकर तीन विकेट लिए, लेकिन बाकी गेंदबाजों से मदद नहीं मिलने की वजह से उनके ये प्रयास एकाकी ही साबित हुए। त्‍यागी को शुरूआत में ही चार ओवर डलवा दिए गए थे, क्‍योंकि वह अंतिम ओवरों में खूब रन लुटाते है। त्‍यागी ने भले ही 4 ओवरों में 19 रन दिए है, लेकिन सवाल ये उठता है कि यदि अंतिम ओवरों में गेंदबाज रन नहीं रोक पाए तो टीम में उसके होने का मतलब क्‍या है।

इस प्रतियोगिता में बेंगलुरू ही एक ऐसी टीम है जिसकी गेंदबाजी बेहद मजबूत है। पांच मुख्‍य गेंदबाजों की मौजूदगी में टीम को पार्ट टाइमर की जरूरत कम ही पडती है। कप्‍तान कुंबले ने केवल कप्‍तानी के लिहाज से ही नहीं बल्कि गेंदबाजी से भी टीम को लीड किया। अंतर्राष्‍ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह चूके कुंबले की गेंदबाजी पर उम्र और मैच प्रैक्टिस का अभाव बिलकुल नहीं झलक रहा है। उन्‍होंने चार ओवर में महज 15 रन दिए और मुरली विजय का महत्‍वपूर्ण विकेट लिया जो अंतिम ओवरों में मैच का नतीजा बदलने की काबिलियत रखते है। स्‍टेन और प्रवीण कुमार पहले की ही तरह कसावट भरे नजर आए। 

सौरव गांगुली को भारतीय क्रिकेट में द मैन विथ गोल्‍डन आर्म का दर्जा हासिल था। टीम को जब भी विकेट की जरूरत होती गांगुली को गेंद थमा दी जाती और वह अच्‍छी से अच्‍छी साझेदारी को तोडने में कामयाब हो जातें। आईपीएल 3 में कुछ ऐसा ही कमाल बेंगलुरू के विनय कुमार दिखा रहे है। विनय ने इस मुकाबले में चार महत्‍वपूर्ण विकेट हासिल किए। अब तक घरेलू क्रिकेट में लगातार विकेट ले रहे विनय को अनदेखा किया जाता रहा है। विनय ने पिछले आईपीएल में भी अच्‍छा प्रदर्शन किया था। इस आईपीएल में भी वो लगातार विकेट हासिल कर रहे है।

कप्‍तान धोनी की गैर मौजूदगी से चेन्‍नई की बल्‍लेबाजी कमजोर लग रही है। हेडन के जल्‍दी आउट होने का मतलब सारा दबाव मध्‍यक्रम के बल्‍लेबाज पर आना। ऐसे में बार बार मध्‍यक्रम लडखडा रहा है। सुरेश रैना पर कप्‍तानी का अतिरिक्‍त भार उनकी बल्‍लेबाजी को प्रभावित करता दिख रहा है। उनके और विजय के जल्‍दी आउट होने के झटके से टीम उबर ही नहीं पाई। बद्रीनाथ ने जरूर कुछ संघर्ष किया लेकिन मार्केल बेंगलुरू की गेंदबाजी के आगे जुझते नजर आए। मार्केल की अंतिम ओवरों में बिग हिट लगाने में नाकामी ने रही सही कसर भी पूरी कर दी।

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